नई दिल्ली, 14 सितंबर। आज से सोलह दिवसीय महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो चुकी है। धन की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का यह बड़ा अवसर होता है, जब आप सोलह दिन लगातार व्रत रखकर उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं और उनका आर्शीवाद पा सकते हैं। बता दें कि महालक्ष्मी व्रत गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद और राधाष्टमी के दिन से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होती है। इस कारण इस व्रत का आरंभ बहुत ही शुभ हो जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ये व्रत रखे जाते हैं। व्रत का समापन अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन होता है। कहते हैं इस व्रत को करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
महालक्ष्मी व्रत का माहात्म्य
महालक्ष्मी व्रत रखने पर घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता आती है। यह दिन 16 दिन तक चलते हैं और इसे लगभग सभी विवाहित महिलाएं ही रखती हैं। कहते हैं कि अगर कोई सारे व्रत नहीं रख पाता तो वे शुरू के 3 व्रत या आखिरी के 3 व्रत भी रख सकती हैं। इतना ही नहीं, पहले दिन व्रत रखकर बाकी के दिन महालक्ष्मी जी की पूजा भी की जा सकती है। कहते हैं महालक्ष्मी व्रत को धर्म-पुराणों में बहुत अहम बताया गया है।
महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहनते हुए पूजा स्थल को साफ करें। इसके पश्चात भगवान के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें। पूजा के लिए चौकी पर हाथी पर बैठी हुई महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। उसके पास श्रीयंत्र और जल भरकर कलश रखें. देवी को दीप-धूप दिखाएं। मां के आगे घी का दीपक जलाएं। मां लक्ष्मी को फल और फूल अर्पित करे। महालक्ष्मी जी की व्रत कथा पढ़ें और आरती करें। शाम को पूजा करके व्रत खोल सकते हैं।
मान्यता है कि इस दिन महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ मंत्रों का जाप करना भी लाभदायक माना जाता है। इसके लिए लक्ष्मी बीज मंत्र ‘ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः’, महालक्ष्मी मंत्र ‘ओम श्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ओम श्रीं श्रीं महालक्ष्मीये नमः’ या लक्ष्मी गायत्री मंत्र ‘ऊं श्री महालक्ष्मीये च विद्महे विष्णु पटनाय च धिमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयत् ऊं’ का जाप कर सकते हैं।
