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अध्यादेश नहीं, चर्चा जारी रख सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी बीजेपी?

नई दिल्ली। पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) चीफ मोहन भागवत ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए मोदी सरकार को अध्यादेश लाने का सुझावा दिया। बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इस सुझाव का अनुमोदन तो किया है लेकिन कुछ वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया है कि पार्टी राम मंदिर पर चर्चाओं को जारी रख सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी।  विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), आरएसएस और बीजेपी के भीतर का एक सेक्शन राम मंदिर मामले के जल्दी निपटारे की मांग कर रहा है। गुरुवार को विजयदशमी से पहले मोहन भागवत की टिप्पणी इसी दिशा में देखी जा रही है। पार्टी के एक नेता ने बताया कि यह दरअसल आने वाले चुनावों से पहले माहौल भांपने की एक कोशिश थी क्योंकि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद टाइटल सूट में 2019 लोकसभा चुनावों से पहले फैसला आने की कुछ संभावनाएं दिख नहीं रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की रोजाना सुनवाई करने की बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी की याचिका खारिज कर दी है। हालांकि वह लगातार आरोप लगा रहे हैं कि राम मंदिर बनाने का विरोध करने वाली पार्टियां और ऐक्टिविस्ट इस मामले को लटकाने में लगे हुए हैं। वक्फ के वकील कपिल सिब्बल ने तो लोकसभा चुनावों तक सुनवाई टालने की भी मांग की थी।  उधर, संसदीय कार्यमंत्री विजय गोयल से जब भागवत के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने करोड़ों भारतीयों की भावनाओं को जाहिर किया है। गोयल ने कहा कि राम मंदिर निर्माण का ध्येय बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल है। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए अध्यायदेश लाने या बिल तैयार करने में जुटी है तो उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। गोयल ने कहा कि भागवत ने जो कहा वह न्यायसंगत है।  बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने नाम छिपाने की शर्त पर बताया कि फिलहाल अध्यादेश लाने की कोई योजना नहीं है। उनके मुताबिक सरकार इसके लिए पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी। सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिंदुओं के पक्ष में ही आएगा क्योंकि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि जहां बाबरी मस्जिदबनाई गई थी वहां पहले मंदिर था।

बीजेपी के एक पदाधिकारी ने बताया कि संघ प्रमुख जब भी कुछ कहते हैं तो उसका असर होता लेकिन भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है और यह आंदोलन किस दिशा में बढ़ेगा, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सितंबर में एक किताब लॉन्च के दौरान राम मंदिर का मुद्दा उठाया था। वहां शाह ने कहा था कि 600 साल पहले राम मंदिर तोड़ा गया और इसे खारिज नहीं किया जा सकता।  इस कार्यक्रम में मोहन भागवत भी मौजूद थे और उन्होंने कहा था कि वह जल्द से जल्द वहां राम मंदिर का निर्माण चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि इस मामले पर आम सहमति बने तो बेहतर होगा। आने वाले हफ्तों में बीजेपी, आरएसएस और वीएचपी नेताओं द्वारा इस मामले के जल्दी निपटारे की कुछ मांगें और सामने आएंगी। बीजेपी अक्सर कहती है कि राम मंदिर का निर्माण पार्टी के लिए चुनावी मुद्दा नहीं है लेकिन यह उसके चुनावी घोषणापत्र में है और जब भी चुनाव आसपास होते हैं यह मुद्दा सामने आ ही जाता है।

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