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सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर संशय बरकरार

नई दिल्ली। केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने राज्य के लोगों को दो गुटों में बांट दिया है। गत 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बावजूद मंदिर में महिलाओं का प्रवेश हो पाएगा कि नहीं, अभी इस पर संशय बरकरार है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का एक समूह स्वागत कर रहा है जबकि दूसरा समूह मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने के फैसले का विरोध कर रहा है। मंदिर में प्रवेश की अनुमति पर महिलाओं में खुशी की लहर है, वहीं भगवान अयप्पा के भक्त सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सबरीमाला मंदिर के दरवाजे बुधवार को पहली बार सभी उम्र की महिलाओं के लिए खुलेंगे। इस ऐतिहासिक दिन का साक्षी बनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पम्पा पहुंचने लगे हैं। वहीं, सभी उम्रवर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति संबंधी शीर्ष न्यायलय के आदेश के क्रियान्वयन का विरोध करते हुए हजारों भाजपा कार्यकर्ताओं ने सोमवार को यहां केरल राज्य सचिवालय की ओर मार्च किया।

प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि वे महिलाओं को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं देंगे और जरूरत पड़ी तो वे सभी प्रवेश द्वार पर जमीन पर लेट जाएंगे। एक अन्य घटनाक्रम में त्राणवकोर देवास्वोम बोर्ड ने तांत्री (प्रमुख पुरोहित) परिवार, पंडलाम राजपरिवार और अयप्पा सेवा संघम समेत विभिन्न पक्षों की आज यहां बैठक बुलायी है। 17 नवंबर से शुरू हो रहे तीन महीने के मंडलम मकरविलक्कू तीर्थाटन सीजन की तैयारी के लिए बुलायी गयी इस बैठक में शीर्ष अदालत के हाल के फैसले पर भी चर्चा होने की संभावना है।मंदिर बुधवार को मासिक पारंपरिक अनुष्ठान के लिए खुलेगा। महिलाओं और बच्चों समेत बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं ने भगवान अयप्पा का मंत्रोच्चार करते हुए राज्य सचिवालय की ओर मार्च किया। उनके हाथों में भगवान अयप्पा की माला वाली तस्वीरें थीं। पिछले हफ्ते पंडलाम से शुरू हुई विशाल पदयात्रा वाम सरकार द्वारा भगवान अयप्पा की संवेदनाओं पर विचार किये बगैर शीर्ष अदालत के फैसले को लागू करने के फैसले के खिलाफ थी।

नेता से सासंद बने सुरेश गोपी, भारतीय धर्मा जनसेना के प्रमुख तुषार वेल्लापल्ली समेत राजग के कई वरिष्ठ नेता इस मार्च में आगे आगे चल रहे थे और उसकी अगुवाई प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पी एस श्रीधरन पिल्लई कर रहे थे। पिल्लई ने कहा, ‘हम केरल में हर ग्रामीण से मिलेंगे और सबरीमला मंदिर, उसकी सदियों पुरानी परंपराओं और भगवान अयप्पा के अनुयायियों की संवेदना की रक्षा करने के लिए व्यापक जनांदोलन की योजना तैयार करेंगे।’ सबरीमला मुद्दे पर विरोध के बीच भगवान अयप्पा मंदिर में दर्शन करने जाने की घोषणा करने वाली केरल की एक महिला ने सोमवार को शिकायत की कि उसे सोशल मीडिया पर धमकियां दी जा रही हैं और अपशब्द कहे जा रहे हैं। कन्नूर जिला निवासी 32 वर्षीय महिला रेश्मा निशांत ने हाल में फेसबुक पर पोस्ट करके बताया कि वह मंदिर जाएगी।

गत 28 सितम्बर को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ ने मासिक धर्म वाली आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर प्रवेश से रोक हटा दी थी। रेश्मा ने स्वयं को भगवान अयप्पा का एक निष्ठावान भक्त बताया और कहा कि उसने 17 नवम्बर को शुरू होने वाली वार्षिक तीर्थयात्रा के वास्ते मंदिर तक चढ़ाई के वास्ते 41 दिवसीय व्रत शुरू कर दिया है। रेश्मा ने यह भी कहा कि उसने सबरीमला जाने से पहले प्रथा के तहत भगवान अयप्पा के लाकेट वाली माला भी पहन ली है। उसने कहा, ‘बड़ी संख्या में लोगों ने मंदिर जाने के मेरे निर्णय का समर्थन किया है। यद्यपि मेरे खिलाफ आलोचना का अभियान भी चल रहा है।’ उसने कहा, ‘मैंने जैसे ही अयप्पा मंदिर में दर्शन करने के अपने निर्णय की घोषणा की, सोशल मीडिया पर धमकी और अपशब्दों की बाढ़ आ गई।’यद्यपि रेश्मा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने उसकी जैसी महिला श्रद्धालुओं को पहाड़ी मंदिर जाने की इजाजत दी है और उम्मीद है कि राज्य सरकार और पुलिस उसे आवश्यक संरक्षण प्रदान करेगी। उसने कहा कि उसके साथ तीर्थयात्रा पर कुछ अन्य महिलाएं भी रहेंगी।

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