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रक्षाबंधन से पहले जान ले भद्राकाल, शाम को शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली। इस बार रक्षाबंधन पर भाई-बहन के प्यास के त्योहार पर भद्राकाल की बुरी छाया पड़ रही है। आप भी जान लें कि रक्षाबंधन मनाने का कौन सा समय सही है। कब से कब तक भद्राकाल रहेगा, क्योंकि हिंदू मान्यता में भद्राकाल को अशुभ माना जाता है। इस दौरान शुभ कार्य करने पर पूरी तरह मनाही रहती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, रक्षा बंधन का त्योहार हर साल की तरह इस साल भी सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाएगा। इस साल पूर्णिमा तिथि 22 अगस्त 2022, दिन रविवार को है। तो आईये आपको बताते हैं क्या है भद्राकाल।
पंडित ललित मोहन भारद्वाज कहते हैं कि रक्षाबंधन के दिन मध्यान्ह में वृश्चिक लग्न में दोपहर 12.00 बजे से 2.12 बजे तक और कुंभ लग्न में सायंकाल 6.06 बजे से 7.40 बजे तक का रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त है।
22 तारीख को प्रात: 6.16 बजे तक भद्राकाल रहेगा। ऐसे में प्रात: 6.16 बजे तकरक्षाबंधन नहीं मनाना चाहिए और राखी नहीं बांधनी चाहिए। उन्होंने बताया कि शाम को 04 बजकर 30 मिनट से राहुकाल आरंभ होने से पहले रक्षासूत्र बांधा जा सकता है। अब यदि हिंदू पंचाग और शास्त्रों की बात करें तो भद्राकाल को अशुभ माना गया है। राखी बांधना और शुभ कार्यों की मनाही रहती है। इस वर्ष रक्षाबंधन त्योहार की बात करें तो चंद्रमा मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि पर संचार करेंगे।

क्या कहती हैं पौराणिक कथाएं

उधर भद्राकाल के बारे में और विस्तार से बात करें तो शास्त्रों में राहुकाल और भद्रा के समय शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौराण‍िक कथाओं की माने तो कहा जाता है कि राणव ने भद्रा काल में अपवनी बहन से राखी बंधवाई थी। एक साल के अंदर उसका सर्वनाश हो गया। तभी से भद्राकाल को अशुभ माना जाता है। वर्तमान की बात करें तो भद्राकाल में बहनों को इस काल में अपने भाई को राखी बांधने से मना किया जाता है। और अधिक बात करें तो यह भी कहा जाता है कि भद्रा शनि महाराज की बहन है। उन्हें ब्रह्माजी जी ने श्राप दिया था कि जो भी व्यक्ति भद्रा में शुभ काम करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा। इसके अलावा राहुकाल में भी राखी नहीं बांधी जाती है।

आधुनिकता के दौर में बदला राखियों का स्वरूप

इस समय बात करें तो राखियों का स्वरूप काफी बदल गया है। जहां महंगे इलेक्ट्रानिक बेंड्स ने राखियों की जगह ले ली है, वहीं सोने-चांदी की राखियां भी खूब पसंद की जा रही है। भारत की बात करें तो इस समय बाजारा राखियों से सज गए हैं। बहने भाईयों के लिए स्टाइलिश राखी खरीद रही हैं। वहीं आज भी कुछ बहने अपने भाई को कलावा राखी के तौर पर बांधती हैं। सर्राफा बाजार में रक्षाबंधन की तैयारी कर ली गई है और तमाम राखियों के डिजाइन मौजूद हैं। कुछ जगहों पर डायमंड राखी का भी चलन है।

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