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बौद्ध तीर्थ के रूप में बोधगया बौद्ध बंधुओं के लिए एक तीर्थ स्थान बन गया

भारत किसी समय में विश्वगुरु यूं ही नहीं कहलाता था। भारत एक ऐसा देवदुर्लभ, बिरला, अनोखा राष्ट्र है जिसने कभी किसी राष्ट्र की सीमाओं पर हमला नहीं किया। कभी स्वयं की सीमाओं के विस्तार का प्रयास नहीं किया। साथ ही भारत एक ऐसा भी बिरला राष्ट्र है जो बिना आक्रमण ही विश्व भर मे अपनी सीमाओं को सांस्कृतिक माध्यम से बढ़ाने मे सफल रहा है। भारत ने अपने सांस्कृतिक देवदूतों के माध्यम से लगभग एक चौथाई विश्व को अपनी संस्कृति मे रंग दिया है। भारतीय संस्कृति को विश्वव्यापी रूप देने व विश्वगुरु के स्थान पर विराजित कराने मे सनातन धर्म की एक शाखा के रूप मे उपजे बौद्ध धर्म का आविर्भाव एक महत्वपूर्ण घटना रही है। सनातन में या हिंदू धर्म में विष्णु के नवे अवतार के रूप में भगवान बुद्ध को गिना जाता है। लगभग 2600 वर्ष पूर्व सनातन से उपजा तथागत बुद्ध प्रवर्तित बोद्ध धर्म बाद में वैश्विक सांस्कृतिक व राजनैतिक परिवर्तनों को जन्म देने का एक बड़ा कारण सिद्ध हुआ। बौद्ध धर्म को विश्व का तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक धर्म बनाने में बौद्ध तत्व बड़े ही महत्वपूर्ण रहे हैं। इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण वह बात रही जिसमें भगवान बुद्ध ने कहा था कि हम सब स्वतंत्रता की कामना करते हैं, पर जो चीज मनुष्यों को अलग बनाती है वह है बुद्धि। पर स्वतंत्र मनुष्यों के रूप में हम अपनी अद्वितीय बुद्धि के उपयोग से स्वयं को और अपने विश्व को समझने का प्रयास कर सकते हैं।

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